फिर हुई बदसलूकी

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फिर हुई बदसलूकी
पाक के उप-उच्चायुत्त को समन किया गया
नई दिल्ली, 23 जून
पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुत्त अजय बिसारिया को गुरूद्वारे में जाने से रोकने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। भारत ने इसपर कड़ा विरोध जताते हुए पाकिस्तान के उप-उच्चायुत्त को यहां समन किया है। पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुत्त अजय बिसारिया और महावाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को गुरूद्वारा पंजा साहिब जाने से रोका गया। भारतीय उच्चायुत्त के पास पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से अनुमति भी थी। इसके बावजूद उनके साथ बदसलूकी की गई। ऐसा तब हुअा है जब मार्च महीने में ही पाकिस्तान ने राजनयिक विवाद को `1992 कोड अॉफ कंडक्ट (सीओसी)' के तहत सुलझाने को लेकर सहमति जाहिर की थी।
पिछले दो महीने के दौरान यह दूसरा मौका है, जब भारतीय उच्चायुत्त को गुरूद्वारा पंजा साहिब जाने से रोका गया। हालाँकि अब पाकिस्तान ने इस मामले में एक नई कहानी गढ़ी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवत्ता मोहम्मद फैसल ने ट्वीट कर कहा है, `सिख श्रद्धालु भारत में दुर्व्यवहार और विवादित फिल्म के रिलीज के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। भारतीय उच्चायुत्त को इस बात से अवगत कराया गया था और उन्होंने खुद अपनी यात्रा को रद्द करने की सहमति दी।'
उधर, शनिवार को विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग ने भी इस मामले में कड़ा विरोध दर्ज कराया है। पाकिस्तान के उप उच्चायुत्त सैयद हैदर शाह को भी समन किया गया है। गौरतलब है कि पिछले काफी दिनों से भारत-पाकिस्तान के राजनयिक संबंधों में तनाव देखने को मिल रहा है।
अजय बिसारिया का मामला भारत के राजनयिकों को पाकिस्तान में परेशान किए जाने के कई मामलों में से एक ही है। हालांकि पाकिस्तान भी भारत पर अपने राजनयिकों को परेशान करने का अारोप लगाता अाया है। अभी 10 जून को पाकिस्तान ने भारत के एयर अडवाइजर को इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर ही रोक लिया था। पाकिस्तान का कहना था कि  उनके पास पाक के विदेश मंत्रालय से जारी अाईडी कार्ड नहीं था। हालाँकि भारत ने सफाई दी थी कि पाक विदेश मंत्रालय ने उसे रिन्यू ही नहीं किया था।
मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में दोनों देश राजनयिकों से जुड़े मुद्दों को पारस्परिक तौर पर सुलझाने के लिए राजी हो गए थे। पाकिस्तान ने 1992 कोड अॉफ कंडक्ट के तहत इन मामलों को सुलझाने के लिए हामी भरी थी, लेकिन पाकिस्तान में भारतीय राजनयिक के साथ हुई बदसलूकी की इस हालिया घटना को देखकर नहीं लगता कि पड़ोसी देश के रूख में कोई खास सुधार हुअा है। सीओसी के मुताबिक, जब किसी देश के राजनयिक या कंसुलर कमाa दूसरे देश जाते हैं, तो उस मेजबान देश की जिम्मेदारी बनती है कि वह उनकी देखरेख करे। इतना ही नहीं उनकी जासूसी करके, टेलीफोन लाइन काटकर, अनजान गाडि़यों को उनके रहने वाले स्थान पर घुसाकर या किसी और तरीके से परेशान नहीं किया जाना चाहिए। 
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