स्विस रैंकिंग में भारत @73

India is 73 in Swiss ranking 2July2018
ज्यूरिख/नई दिल्ली, 1 जुलाई-(भाषा)
स्विस बैंकों में किसी देश के नागरिक और कंपनियों द्वारा धन जमा कराने के मामले में 2017 में भारत 73 वें स्थान पर पहुँच गया। इस मामले में ब्रिटेन शीर्ष पर बना हुअा है। वर्ष 2016 में भारत का स्थान इस मामले में 88वाँ था। उल्लेखनीय है कि हाल में जारी स्विस नेशनल बैंक की एक रपट के अनुसार, 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह करीब 7,000 करोड़ रूपये हो गयी। 2016 में इसमें 44 प्रतिशत की गिरावट अायी थी और भारत का स्थान 88 वां था। इस सूची में पड़ोसी मुल्क पर्किंस्तान का स्थान भारत से एक ऊपर यानी 72 वां हो गया है। हालाँकि यह उसके पिछले स्थान से एक कम है, क्योंकि उसके द्वारा जमा किए जाने वाले धन में 2017 के दौरान 21 प्रतिशत कमी अायी है।

स्विस नेशनल बैंक की रपट में इस धन को उसकी ग्राहकों के प्रति देनदारी के रूप में दिखाया गया है। इसलिए यह स्पष्ट नहीं होता कि इसमें से कितना कथित कालाधन है। स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक द्वारा इन अाधिकारिक अाँकड़ों को सालाना अाधार पर जारी किया जाता है। इन अांकड़ों में भारतीयों , अनिवासी भारतीयों और अन्य द्वारा अन्य देशों से इकाइयों के नाम पर जमा कराया गया धन शामिल  नहीं है। अक्सर यह अारोप लगाया जाता है कि भारतीय और अन्य देशों के लोग अपनी अवैध कमाई को स्विस बैंकों में जमा कराते हैं, जिसे कर से बचने की सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है।

हालाँकि स्विट्जरलैंड ने भारत समेत कई देशों के साथ स्वत: सूचना साझा करने की संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे अब भारत को अगले साल जनवरी से स्विस बैंक में धन जमा करने वालों की जानकारी स्वत: मिलना शुरू हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि धन के हिसाब से 2015 में भारत का स्थान इस सूची में 75वाँ और 2014 में 61वाँ था। ब्रिटेन इस सूची में पहले और अमेरिका दूसरे स्थान पर है।
शीर्ष दस देशों की सूची में वेस्ट इंडीज, फ्रांस, हाँगकांग, बहामास, जर्मनी, गुएर्नसे, लक्जमबर्ग और केमैन अाईलैंड शामिल है। ब्रिक्स देशों की सूची में चीन का स्थान 20वाँ, रूस का 23वाँ, ब्राजील का 61 वाँ, दक्षिण अफ्रीका का 67वाँ है। पड़ोसी मुल्कों में मॉरीशस का स्थान 77वाँ, बांग्लादेश का 95वाँ, श्रीलंका का 108वाँ, नेपाल का 112वाँ और अफगानिस्तान का 155वाँ स्थान है। वर्ष 1996 से 2007 के बीच भारत इस सूची में शीर्ष 50 देशों में शामिल था। उसके बाद 2008 में वह 55 वें, 2009 और 2010 में 59वें , 2011 में 55वें , 2012 में 71वें और 2013 में 58वें स्थान पर रहा।
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