महँगाई उच्चतम स्तर पर

inflation at highest level
नई दिल्ली , 14 जून
मई में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक पर अाधारित मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चतम स्तर 4.43 प्रतिशत पर पहुँच गयी। इस बीच उद्योग जगत ने सरकार से ईंधन की कीमतें अंवुश में रखने की मांग उठाई है।
थोक मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में 3.18 प्रतिशत तथा पिछले साल मई महीने में 2.26 प्रतिशत थी।
सरकारी अांकड़ों के अनुसार, मई में खाद्य पदार्थों की थोक मुद्रास्फीति अप्रैल के 0.87 प्रतिशत से बढ़कर 1.60 प्रतिशत रही।
सब्जियों के थोक मूल्य एक साल पहले से 2.51 प्रतिशत ऊपर थे। अप्रैल महीने में सब्जियों के थोक भाव साल भर पहले से 0.89 प्रतिशत नीचे थे।
मई में ईंधन एवं बिजली श्रेणी में भी मुद्रास्फीति 11.22 प्रतिशत पर पहुँच गयी। अप्रैल में यह 7.85 प्रतिशत थी।
अालू के भाव अप्रैल में एक साल पहले से 67.94 प्रतिशत ऊँचा चल रहे थे। मई अालू का भाव एक साल पहले से 81.93 प्रतिशत ऊँचा हो गया।
अालोच्य माह के दौरान फलों के वर्ग में महँगाई दर 15.40 प्रतिशत रही। दालों के भाव 21.13 प्रतिशत गिरे।
नए अांकड़ों के अाधार पर मार्च की थोक मुद्रास्फीति को 2.47 प्रतिशत के प्रारंभिक  अाकलन से संशोधित कर 2.74 प्रतिशत कर दिया गया।
इससे पहले इसी सप्ताह जारी अांकड़े में खुदरा महँगाई भी मई माह में बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 4.87 प्रतिशत पर पहुँच गयी थी।
इस बीच उद्योग संगठन एसोचैम ने सरकार से ईंधन कीमतें नियंत्रित करने की माँग की है। उसने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से अायात खर्च प्रभावित हो सकता है जिसका विनिमय दर पर भी असर हो सकता है।
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, `इनके अलावा इसका उद्योग जगत की लागत पर भी नकारात्मक असर हो सकता है जिन्हें पहले ही मुनाफे में कमी का सामना करना पड़ रहा है।'
इ¯ा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि थोक मूल्य अाधारित मुद्रास्फीति अप्रैल के 3.6 प्रतिशत से तेजी से बढ़कर मई में 4.4 प्रतिशत पर पहुँच गयी है तथा 15 उप-श्रेणियों में तेजी अायी है। इससे संकेत मिलता है कि लागत बढ़ रही है और रूपये की विनिमय दर कमजोर होने का भी असर है।
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