कर्नाटक त्रिशंकु - राज्यपाल पर टिकी सबकी निगाहें

karnataka election 2018 resutls
सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का दावा
कांग्रेस-जद(एस) का भी दावा
बेंगलुरू, 15 मई
कर्नाटक विधानसभा चुनावों के अंतिम परिणाम अाने के बाद अधिकतर सर्वेक्षणों की बात सही साबित हुई और त्रिशंवु विधानसभा की तस्वीर सामने अाई। सीटों पर जीत हिसाब से जेडीएस किंगमेकर और किंग, दोनों ही बनने की भूमिका में नजर अा रही है। कांग्रेस ने अपनी हार स्वीकार करते हुए जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया है और वुमरस्वामी ने लगे हाथ राज्यपाल को खत भी लिख दिया है।
उधर, बीजेपी ने भी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। ऐसे में अब राज्यपाल के विवेक पर ही सब वुछ निर्भर करता है। कर्नाटक के ही पूर्व मुख्यमंत्री एसअार बोम्मई बनाम वेंद्र सरकार का एक अहम मामला कर्नाटक के संदर्भ में एक नजीर बन सकता है। बोम्मई केस में कोर्ट अादेश दे चुका है कि बहुमत का फैसला राजनिवास में नहीं बल्कि विधानसभा के पटल पर होगा।
अामतौर पर राज्यपाल इस निर्देश का पालन करते हुए सबसे बड़े दल को सरकार बनाने का न्योता देते अाए हैं। अगर ऐसा ही हुअा तो बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता मिलेगा क्योंकि अभी तक के रूझानों के मुताबिक बीजेपी 104, कांग्रेस 78, जेडीएस प्लस 38 और अन्य 2 सीटें पाती दिख रही हैं। ऐसे में बीजेपी सबसे बड़ी पाटाa बनकर उभर रही है। अब अाप कर्नाटक की दूसरी तस्वीर देखें। बीजेपी को अकेले बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। परिणाम के मुताबिक कांग्रेस और जेडीएस मिलकर बहुमत के अांकड़े (222 सीट पर चुनाव के हिसाब से 112) को पार कर गए हैं। सिद्धारमैया इस्तीफा दे चुके हैं और कांग्रेस ने जेडीएस को समर्थन देते हुए सीएम पद का अॉफर दे दिया है। ऐसे में राज्यपाल चाहें, तो चुनाव बाद बने नए गठबंधन को सरकार बनाने का मौका दे सकते हैं। हाल में गोवा, मेघालय और मणिपुर विधानसभा चुनाव में ऐसा हो चुका है, जब सबसे बड़ी पाटाa होने के बावजूद कांग्रेस की बजाय चुनाव बाद बने गठबंधन को सरकार बनाने का न्योता मिला था। अब कर्नाटक की लड़ाई किसके पाले में जाएगी, इसका फैसला राज्यपाल को करना है। अगर राज्यपाल येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं, तो बीजेपी को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा। अभी की तस्वीर के मुताबिक तकनीकी तौर पर यह बहुमत बिना जेडीएस के साबित नहीं होगा। ऐसे में विधायकों की खरीद-फरोख्त की अाशंकाअों को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। यानी अब सारी निगाहें कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले पर टिकी हुईं हैं।
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