अमरावती, 15 अप्रैल : तितिदे के चेयरमैन पुट्टा सुधाकर यादव के मामले को लेकर विवाद का सिलसिला जारी है। पुट्टा को चेयरमैन बनाये जाने के बाद से यह मामला विवादास्पद बन गया है। बताया जा रहा है कि वित्त मंत्री यनमला रामकृष्णुडू की सिफारिश के बाद ही पुट्टा को तितिदे का चेयरमैन बनाया गया। इस मामले को लेकर शिव स्वामी और विश्व हिन्दू परिषद ने कई गंभीर आरोप लगाये हैं। सुधाकर पर इस बात का आरोप लगाया गया था कि तितिदे के चेयरमैन बनने से पूर्व वे पुट्टा यादवों को नजरअंदाज कर ईसाइयों को ज्यादा महत्व दे रहे थे। इस पर पुट्टा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन पर जो आरोप लगाये गये हैं, वह सरासर गलत हैं। बैलगाड़ी प्रतियोगिता के दौरान वे मुख्य अतिथि के रूप में गये थे। उस दौरान भी आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया है। पुट्टा सुधाकर ने आगे कहा कि कुछ लोग उन पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, जबकि वे शत-प्रतिशत हिन्दू हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से 9 साल पहले भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बनवाया था और इसके लिये एक करोड़ रुपये खर्च किये। इसी तरह हर साल जन्माष्टमी और उगादि के लिये 10 लाख रुपये खर्च करते हैं। उनके घर में श्रीकृष्ण और भगवान बालाजी की ही पूजा होती है। उन्होेंने शिव स्वामी को इस बात की चुनौती दी कि यदि वे उनके धर्म को लेकर कोई बात साबित कर देते हैं तो वे चेयरमैन पद से इस्तीफा दे देंगे। उनका कहना था कि तितिदे के जब वे सदस्य थे, तब अनुसूचित जाति और जनजाति की कॉलोनियों में कई मंदिर बनवाया। इसके बावजूद उन पर बेबुनियाद आरोप लगाये जा रहे हैं। उन्होेंने आगे कहा कि एक नास्तिक भूमना करुणाकर रेड्डी को जब तितिदे का चेयरमैन बनाया गया था, तब सभ्ाी लोग चुप क्यों थे। दिवंगत नेता वाई.एस. राजशेखर रेड्डी ने सात पहाड़ों को दो पहाड़ बनाते हुए सरकारी आदेश जारी किया था, उस समय भी लोग चुप्पी साधे रहे। उन्होेंने कहा कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की पवित्रता को बनाये रखना ही एकमात्र उद्देश्य है। श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।