`अात्म अाराधना से होती है धर्माराधना की गरिमा'

हैदराबाद, 1 जुलाई (चन्द्रभान अार.)
`धर्म अाराधना की गरिमा अात्म अाराधना से होती है। जहाँ अात्म अाराधना की साधना न हो, वहाँं धर्म अाराधना नहीं हो सकती। साधना समझ से होती है। व्यक्ति की जैसी समझ होगी, वह वैसा ही कार्य करेगा। जैसी समझ, वैसी शिक्षा।'

अाज यहाँ प्रचार संयोजक मनोज कोठारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, रामकोट में बुक कलेक्शन स्थित हॉल में अायोजित धर्मसभा में पारसमुनिजी म.सा. ने उक्त उद्ग़ार दिये।

मुनिश्री ने कहा कि समझ कुछ है और कार्य कुछ है, ऐसा नहीं होगा, जिसमें समझ नहीं, उसका कार्य भी नहीं होगा। जैसे डॉक्टर वकील का तथा वकील डॉक्टर का कार्य नहीं कर सकता। जीव की समझ उससे कोई क्रिया कराने में समर्थ होती है। कार्य की सफलता इसी पर अाधारित होती है। लाभ और हानि का ज्ञान समझ से अाता है। जब लाभ का पता चल जाता है, तो हानि स्वयं में घुट जाती है। समझ से क्रिया करने पर वह सार्थक होती है और क्रिया करने का बल भी समझ से ही पता चलता है। लाभ लेने के लिए व्यक्ति प्रयत्न करते हैं। जिसमें कार्य की समझ नहीं होती, उसे कार्य में प्रसन्नता नहीं मिलती।

पारसमुनिजी ने अागे कहा कि अाज व्यक्ति को संसार की समझ है। संसार की क्रिया कैसे करनी है, वह अच्छी तरह से जानता है। इसीलिए अाज का मानव संसार की क्रिया करने में व्यस्त है, किन्तु अाज अात्म अाराधना में रस कम होने का एक ही कारण है, अात्मा की नासमझी। अात्मा की समझ गुरूअों से मिलती है। गुरू हमें अागम का ज्ञान देते हैं। अात्मा का ज्ञान भगवान का है। अागम के भाव अात्मा के भाव हैं। अागम ज्ञान से अात्मा की समझ होती है। इसीलिए अात्म अाराधना भी अागम ज्ञान की समझ से होती है। अागम का ज्ञान अात्मा को समझने और क्रिया करने के लिए है। जिनको भी अात्मा का ज्ञान हुअा, वे संसार में नहीं रहे। ऐसे लोगों ने संसार में अालिप्त होकर भी संसार त्याग दिया। धर्म में स्थिर रहने के लिए अात्म ज्ञान की समझ होनी चाहिए। अागम ज्ञान को जो समझ चुके हैं, वही अात्म साधना प्रधान बने हैं। संसार दुख भव है। धर्म शांति प्रधान है। धर्म अाराधना संसार के ज्ञान से नहीं हो सकती है। हम अागम ज्ञान की समझ प्राप्त कर धर्मी जीवन जी सकते हैं।

सभा का संचालन तरूण भाई पारेख ने किया। दोपहर में मांगलिक के पश्चात साधन से कार्य सिद्धि शिविर अायोजित किया गया। शिविर के पश्चात पारेख परिवार की ओर से अल्पाहार की व्यवस्था की गयी। सोमवार, 2 जुलाई का प्रवचन जयंत भाई पारेख बुक कलेक्शन, रामकोट में होगा।




















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