मुंबई, 6 जून
विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंतित रिजर्व बैंक ने अाज मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। पिछले चार साल से अधिक समय में अाज पहली बार रेपो दर बढ़ाई गई। इससे बैंकों का कर्ज महंगा होगा और मकान, वाहन के कर्ज की ईएमअाई बढ़ सकती है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के बाद अाज रेपो दर बढ़ाने की घोषणा की गई। रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल सहित समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर केन्द्रीय बैंक एक दिन-एक रात की फौरी जरूरत के लिये बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है। इसके साथ ही रिवर्सरेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़ाकर छह प्रतिशत हो गई। इस दर पर केन्द्रीय बैंक बैंकों से अतिरिवÌत नकदी उठाता है।
रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी 2014 को रेपो दर में वृद्धि की थी। उस समय रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर अाठ प्रतिशत पर पहुँच गई थी। उसके बाद से इसमें या तो गिरावट अाती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया। जनवरी 2015 में पहली बार इसमें चौथाई प्रतिशत की कटौती कर इसे 7.75 प्रतिशत पर लाया गया। चालू वित्त वर्ष की अाज यह दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा की गई। इसमें रिजर्व बैंक ने कच्चे तेल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने को लेकर चिंता जताई है। हालाँकि केन्द्रीय बैंक ने 2018- 19 के लिये अार्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रेपो दर में वृद्धि का अनुमान लगाते हुए कई बैंकों ने पहले ही अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर दी। स्टेट बैंक, अाईसीअाईसीअाई बैंक और बैंक अाफ बड़ौदा ने पिछले सप्ताह अपनी कर्ज दरों में 0.1 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी। गवर्नर ऊर्जित पटेल ने बैठक के बाद कहा कि एमपीसी ने मध्यम अवधि में टिकाऊ अाधार पर मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।
विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंतित रिजर्व बैंक ने अाज मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। पिछले चार साल से अधिक समय में अाज पहली बार रेपो दर बढ़ाई गई। इससे बैंकों का कर्ज महंगा होगा और मकान, वाहन के कर्ज की ईएमअाई बढ़ सकती है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के बाद अाज रेपो दर बढ़ाने की घोषणा की गई। रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल सहित समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर केन्द्रीय बैंक एक दिन-एक रात की फौरी जरूरत के लिये बैंकों को नकदी उपलब्ध कराता है। इसके साथ ही रिवर्सरेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़ाकर छह प्रतिशत हो गई। इस दर पर केन्द्रीय बैंक बैंकों से अतिरिवÌत नकदी उठाता है।
रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी 2014 को रेपो दर में वृद्धि की थी। उस समय रेपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर अाठ प्रतिशत पर पहुँच गई थी। उसके बाद से इसमें या तो गिरावट अाती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया। जनवरी 2015 में पहली बार इसमें चौथाई प्रतिशत की कटौती कर इसे 7.75 प्रतिशत पर लाया गया। चालू वित्त वर्ष की अाज यह दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा की गई। इसमें रिजर्व बैंक ने कच्चे तेल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने को लेकर चिंता जताई है। हालाँकि केन्द्रीय बैंक ने 2018- 19 के लिये अार्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। रेपो दर में वृद्धि का अनुमान लगाते हुए कई बैंकों ने पहले ही अपनी ब्याज दरों में वृद्धि कर दी। स्टेट बैंक, अाईसीअाईसीअाई बैंक और बैंक अाफ बड़ौदा ने पिछले सप्ताह अपनी कर्ज दरों में 0.1 प्रतिशत तक वृद्धि कर दी। गवर्नर ऊर्जित पटेल ने बैठक के बाद कहा कि एमपीसी ने मध्यम अवधि में टिकाऊ अाधार पर मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।