महागठबंधन बनने से पहले ही फँसा मायावती का पेंच

Mayawati coalition partner

लखनऊ, 2 जून-(एजेंसियाँ)
यूपी में 2019 के चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की तैयारी में पेच फँसता दिख रहा है। वैराना और नूरपुर के उप-चुनावों में जीत के बाद मायावती + की चुप्पी की वजह से राजनीति के गलियारे में कई तरह की खुसफुसाहटें शुरू हो गईं हैं। इस चुप्पी को मायावती की दबाव की रणनीति के तौर पर लिया जा रहा है, जिसका सीधा कनेक्शन महागठबंधन बनने पर सहयोगियों के साथ सीट शेय्रिंग से जुड़ा हुअा है।
एक तरफ तो समाजवादी पाटाa ने उप-चुनावों के परिणामों पर जबर्दस्त उत्सव मनाया, लेकिन मायावती अबतक बीजेपी की हार पर खामोश बनी हुईं हैं, जबकि यह सर्वविदित है कि इस जीत में बीएसपी के दलित वोटर्स के बेस की अहम भूमिका रही है। बीएसपी के सूत्रों का कहना है कि यह खामोशी रणनीतिक है और इस बात का संकेत है कि यूपी की लोकसभा की 80 सीटों में बीएसपी के लिए 40 सीटें छोड़ी जाएँ। नाम न बताने की शर्त पर सूत्र ने बताया कि मायावती ने हाल में ही पाटाa कार्यकर्ताअों के सामने अपने इस गेम प्लान का खुलासा किया है।
पिछले हफ्ते लखनऊ में अपने पाटाa कार्यकर्ताअों को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा था कि अगर बीएसपी को सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो वह अकेले भी चुनाव लड़ने का फैसला ले सकती हैं। बीएसपी की मदद से तीन उप-चुनावों गोरखपुर, फूलपुर और नूरपुर में जीत हासिल करने के बावजूद समाजवादी पाटाa सीट शेय्रिंग पर बात करने की जल्दबाजी में नहीं दिख रही। अखिलेश यादव + से, जब मायावती के `सम्मानजनक फॉर्मूला' पर जवाब माँगा गया, तो उन्होंने कहा था कि `अाप जानते हैं सम्मान देने में हम लोग अागे हैं और सम्मान कौन नहीं देगा यह भी अाप जानते हैं।'
पहले पेश किए गए फॉर्मूला के मुताबिक, समाजवादी पाटाa और बीएसपी ने उन सीटों पर उम्मीदवार देने की बात कर रहे थे, जहाँ 2014 के चुनावों में उनके वैंडिडेट सेकंड पोजिशन पर रहे। इस फॉर्मूले में 10 सीटों के प्लस-माइनस के हिसाब से एसपी खेमे में जहाँ 31 सीटें जाती दिख रही थीं, वहीं बीएसपी के लिए यह समीकरण 34 सीटों पर फिट बैठ रहा था। वैराना जैसी जीत पूरे प्रदेश में हासिल करने के लिए इस महागठबंधन में कांग्रेस और अारएलडी को भी शामिल करने की बात है लेकिन मायावती की अधिक सीटों की माँग इस समीकरण में समस्या पैदा कर सकती है।
बीएसपी का ज्यादा सीटों की माँग पर तर्व है कि महागठबंधन के जितने भी संभावित पार्टनर हैं, उनमें से उसकी पाटाa के वोट ज्यादा अच्छे तरीके से किसी भी गठबंधन के दल को ट्रांसफर हो सकते हैं।
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