मर्सिडीज-दूध पर एक कर नहीं : मोदी

Milk and Mercedes cant be taxed at same rate says PM 1July2018
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत सभी वस्तुअों पर एक ही दर से कर लगाने की अवधारणा को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि मर्सिडीज कार और दूध पर एक ही दर से कर नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत सभी वस्तुअों पर 18 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाने की कांग्रेस पार्टी की माँग को यदि स्वीकार किया जाता है, तो इससे खाद्यान्न और कई जरूरी वस्तुअों पर कर बढ़ जायेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के एक साल के भीतर ही अप्रत्यक्ष करदाताअों का अाधार 70 प्रतिशत तक बढ़ गया।  इसके लागू होने से चेक-पोस्ट समाप्त हो गये,  इसमें 17 विभिन्न करों, 23 उपकरों को समाहित कर एक बनाया गया है। मोदी ने कहा कि जीएसटी समय के साथ बेहतर होने वाली प्रणाली है। इसे राज्य सरकारों, व्यापार जगत के लोगों और संबंध पक्षों से मिली जानकारी और अनुभवों के अाधार इसमें लगातार सुधार किया गया है।

जीएसटी में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, सेवाकर, राज्यों में लगने वाले मूल्यवार्धित कर (वैट) तथा अन्य करों को समाहित किया गया है। इसका उद्देश्य इंस्पेक्टर राज को समाप्त करते हुये अप्रत्यक्ष करों को सरल बनाना है। प्रधानमंत्री ने स्वराज्य पत्रिका को दिये साक्षात्कार में कहा कि यह काफी अासान होता कि जीएसटी में केवल एक ही दर रहती, लेकिन इसका यह भी मतलब होगा कि खाद्य वस्तुअों पर कर की दर शून्य नहीं होगी। क्या हम दूध और मर्सिडीज पर एक ही दर से कर लगा सकते हैं? उन्होंने कहा कि इसलिये कांग्रेस के हमारे मित्र जब यह कहते हैं कि हमारे पास जीएसटी की केवल एक दर होनी चाहिये, उनके कहने का मतलब है कि वह खाद्य पदार्थों और दूसरी उपभोक्ता जिंशों पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाना चाहते हैं, जबाकि वर्तमान में इन उत्पादों पर शून्य अथवा पाँच प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा है। स्वराज पत्रिका की वेबसाइट पर जारी साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि अाजादी के बाद से जहाँ 66 लाख अप्रत्यक्ष करदाता ही पंजीकृत थे, वहीं एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद इन करदाताअों की संख्या में 48 लाख नये उद्यमियों का पंजीकरण हुअा है।

प्रधानमंत्री ने जीएसटी को जटिल बताने वालों को जवाब देते हुये कहा कि इसमें करीब 350 करोड़ बिलों को अब तक प्रसंस्कृत किया जा चुका है। 11 करोड़ रिटर्न दाखिल हुए हैं। अगर जीएसटी वास्तव में जटिल है, तो क्या हम इस तरह के अाँकड़ों की उम्मीद कर सकते हैं? उन्होंने कहा की देशभर में चेक-पोस्ट हटा लिये गये हैं, अब राज्यों की सीमाअों पर ट्रकों की लंबी लाइनें नहीं लगतीं हैं। इससे न केवल ट्रक ड्राइवरों का महत्वपूर्ण समय बचता है, बाल्कि समूचे माल परिवहन क्षेत्र को इससे बढ़ावा मिलता है और देश की उत्पादकता बढ़ी है। अगर जीएसटी जटिल प्रक्रिया है, तो क्या यह हो सकता है?

जीएसटी क्रियान्वयन को लेकर हुई अालोचना पर उन्होंने कहा कि यह नई कर व्यवस्था एक बड़ा बदलाव था, दुनिया की इस सबसे बड़ी अार्थिक प्रणाली को पूरी तरह से स्थापित किये जाने की जरूरत थी। इस कर सुधार में 17 करों, 23 उपकरों को एक कर में समाहित कर दिया गया। जब इससे अंतत: लागू किया गया, तो इसे सरल और प्रणाली को बेहतर रखने का पूरा प्रयास था। जब इतने बड़े स्तर पर कोई सुधार शुरू किया जाता है, तो उसमें कुछ शुरूअाती परेशानियाँ होती हैं, लेकिन इन समस्याअों की न केवल पहचान की गई, बाल्कि उनका तुरंत समाधान भी किया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी में भारत के सहयोगात्मक संघवाद का बेहतर स्वरूप सामने अाया है। हमने सभी राज्यों को एकजुट किया और सक्रियता के साथ उनके बीच अामसहमति बनाई, जो कि इससे पहले की सरकारें नहीं कर पाईं। मोदी ने कहा कि इससे पहले उत्पादों पर लगने वाले कई कर छुपे हुये थे, लेकिन जीएसटी व्यवस्था ऐसी है कि इसमें अाप जो देखते हैं, वही अाप भुगतान करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने करीब 400 वस्तुअों के समूह में कर की दर कम की है। करीब 150 वस्तु समूहों पर शून्य दर से जीएसटी रखा गया है। अाप यदि देखेंगे तो दैनिक उपभोग वाली ज्यादातर वस्तुअों पर कर की दर वास्तव में कम हुई है।

चाहे चावल हो, चीनी हो, मसाले हों अथवा अन्य सामान ज्यादातर मामलों में कर की दर कम हुई है। दैनिक उपभोग का ज्यादातर सामान या तो जीएसटी से बाहर रखा गया है अथवा उस पर पाँच प्रतिशत की श्रेणी में रखा गया है। इसके साथ ही 95 प्रतिशत के करीब वस्तुअों को 18 प्रतिशत अथवा इससे कम दर के स्लैब में रखा गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी को सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुये इस तरह तैयार किया गया है कि इससे इंस्पेक्टर राज समाप्त हो जाये। रिटर्न दाखिल करने से लेकर रिफंड लेने तक सब कुछ अॉनलाइन रखा गया है।


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