नागवैष्णवी हत्या कांड - तीन को उम्रवैद

Nagavnavni murder case

विजयवाड़ा, 14 जून-(मिलाप डेस्क)
विजयवाड़ा में लगभग अाठ साल पहले नन्हीं बच्ची नागवैष्णवी की अपहरण के बाद निर्मम हत्या को लेकर विजयवाड़ा महिला सत्र न्यायालय ने अाज अपना फैसला सुनाया। इस मामले के तीन अारोपी मोर्ला श्रीनिवास राव, यंपराला जगदीश, वेंकटराव गौड़ को न्यायाधीश ने अाजीवन कारावास की सजा सुनायी है।
हत्या एवं अपहरण से संबंधित मामले के अदालत में साबित हो जाने के बाद यह सजा सुनायी गयी है। हालाँकि निचली अदालत के फैसले को लेकर अारोपी उच्च न्यायलय में अपील कर सकते हैं। अदालत के इस फैसले पर नागवैष्णवी के रिश्तेदारों ने खुशी जताते हुए इस बात पर नाराजगी भी व्यक्त की कि मामले की सुनवाई में काफी लंबा समय लगा। अदालत फैसले का लंबे समय तक इंतजार करने वाली नागवैष्णवी की माँ नर्मदा देवी का पिछले वर्ष निधन हो गया। उनके परिवार वालों का कहना है कि नर्मदा देवी के जीते-जी अगर फैसला सुना  दिया जाता तो वे काफी खुश होती। नागवैष्णवी की हत्या के मामले को लेकर पिछली घटनाअों पर गौर करना होगा। इस घटना में कार चालक की भी हत्या कर दी गयी थी, जबकि बेटी की मौत का समाचार सुनकर नागवैष्णवी के पिता की भी मौत हो गयी थी।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे नागवैष्णवी के चाचा और माँ की भी मौत हो गयी। जाँच के दौरान पता चला कि संपत्ति विवाद के कारण ही कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इस मामले को लेकर पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ अारोप-पत्र दाखिल किया। मामले में कुल 109 लोगों से जिरह की गयी।
30 जनवरी 2010 को नागवैष्णवी की गला घोंटकर हत्या करने के बाद उसकी लाश को जला दिया गया। नागवैष्णवी के अपहरण के दौरान मौजूद कार चालक की गला काटकर हत्या कर दी गयी थी। उसी दौरान कार में मौजूद नागवैष्णवी का भाई किसी तरह भाग निकलने में सफल रहा ।
उसी दिन नागवैष्णवी की विजयवाड़ा से गुंटूर ले जाते समय गला घोंटकर हत्या कर दी गयी। बाद में उसके शव को गुंटूर के अाटोनगर स्थित एक ब्लास्ट फर्नस में डालकर जला दिया गया।  ब्लास्ट फर्नेस से नागवैष्णवी के केवल कान के झुमके मिले जिसे जाँच के लिए एफएसएल भेज दिया गया। कान के झुमके में हीरा होने से इसी के अाधार पर पुलिस ने जाँच का काम शुरू किया। कार चालक की हत्या के दौरान मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के दिये बयान भी इस मामले के प्रमुख सबूत बने। नागवैष्णवी की हत्या के बारे में जानकारी मिलते ही उसके पिता की भी मौत हो गयी।
विजयवाड़ा के रहने वाले पी. प्रभाकर राव व्यापारी थे। उनका संयुक्त परिवार था। उसके तीन बहन और चार भाई थे। बड़ी बहन वेंकटेश्वरम्मा के पति के निधन के बाद वह अपने एक बेटे और बेटी के साथ अपने भाई के पास अा गयी। बाद में प्रभाकर राव ने अपनी बहन की बेटी से शादी कर ली।
इनके 6 बच्चे हुए और सभी की मौत हो गयी। प्रभाकर राव को बच्चों से काफी प्यार था। रिश्तेदार उस पर दूसरी शादी के लगातार दबाव ड़ाल रहे थे, जबकि वह अपनी बहन से कहने की हिम्मत नही कर रहा था। अाखिरकार रिश्तेदारों के समझाने बुझाने पर वह मान गया और अपने एक करीब के रिश्तेदार की बेटी  नर्मदा देवी से शादी रचा ली। इनके तीन बच्चे दो बेटे और एक बेटी हुई। प्रभाकर राव अपनी बेटी  नागवैष्णवी को काफी प्यार करता था। प्रभाकर राव द्वारा दूसरी शादी किये जाने के बाद परिवार में मनमुटाव का सिलसिला अारंभ हुअा। प्राभकर राव भी अपना ज्यादातर समय दूसरी पत्नी के साथ बिताता था। इससे पहली पत्नी एवं उसके भाई पी. वेंकटराव अक्सर उसके साथ झगड़ा किये करते थे। इसी विवाद के व्रम में 30 जनवरी 2010 को कार में पाठशाला जा रही नागवैष्णवी का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गयी। इसी व्रम में कार चालक की भी हत्या कर दी गयी।
नागवैष्णवी की मौत की खबर सुनते ही उसके पिता प्रभाकर की हृदय गति रूक जाने से उसकी मौत हो गयी। इस मामले को लेकर साजिश रचने वाले पी. प्रभाकर राव के साले पी. वेंकटराव गौड़ के अलावा एम. श्रीनिवास, एम. जगदीश को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में श्रीनिवास राव प्रमुख अारोपी बनाया गया। इन तीनों के खिलाफ अारोप-पत्र दाखिल किया गया। इस घटना के बाद प्रभाकर के भाई सुधाकर के साथ मिलकर प्रभाकर की पत्नी ने लंबे समय तक अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ती रही। इसी व्रम में प्रभाकर की पत्नी नर्मदा देवी की वैंसर से मौत हो गयी। बाद में नागवैष्णवी के चाचा की भी मौत हो गयी।
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