अांध्र को विशेष दर्जा देना संभव नहीं : केंद्र

नई दिल्ली, 4 जुलाई-(मिलाप डेस्क)
केंद्र सरकार ने अाज उच्चतम न्यायालय में एक और विवादास्पद शपथ-पत्र दायर किया। इसमें कहा गया है कि अांध्र-प्रदेश को विभाजन कानून में दिए गए सभी अाश्वासनों को पूरा कर दिया गया है। अब देने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व केंद्र द्वारा दाखिल शपथ-पत्र के खिलाफ अांध्र के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायुडू ने अनशन किया था।

पोंगुलेटी द्वारा दायर याचिका के ज़वाब में शपथ-पत्र दायर करते हुए केंद्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण विषय रखे हैं। केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को अाधिकारिक रूप से बताया है कि राज्य को विशेष दर्जा किसी भी हालत में नहीं दिया जा सकता। राज्यसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए अाश्वासनों को अमल में नहीं लाया जा सकता। इस शपथ-पत्र में केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से रेलवे ज़ोन का जिक्र तक नहीं किया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि दुग्गाराजापटनम बंदरगाह के निर्माण के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी स्वीकृति दे दी है,  इसके निर्माण की संभावना का अध्ययन करने के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।

विशेष पैकेज की अमलावरी कहाँ तक की गई, इस विषय का जिक्र तक केंद्र सरकार ने नहीं किया। ईएपी के संबंध में भी स्पष्ट रूप से कोई बात नहीं कही गई। यह भी कहा गया कि जब अांध्र-प्रदेश का विभाजन किया गया था, तब नव्यांध्र-प्रदेश का राजस्व घाटा 4,116 करोड़ रूपये था। इसमें से अब तक 3,979 करोड़ रूपये दे दिए गए हैं। अागे बताया गया कि केंद्र ने राजधानी के निर्माण के लिए 2,500 करोड़ रूपये दिए हैं। इस संबंध में युटिलाइजेशन सर्टिफिकेट केंद्र के पास भेजने के बाद अगले तीन वर्षों में प्रति वर्ष 330 करोड़ रूपये की दर से कुल एक हज़ार करोड़ रूपये दिए जाएंगे।

ज्ञातव्य है कि कांग्रेस के नेता पोंगुलेटी सुधाकर रेड्डी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर विभाजन कानून के अाश्वासनों की अमलावरी को स्पष्ट करने, पोलावरम के कारण डूबने वाले क्षेत्रों का अध्ययन करने, बय्यारम इस्पात संयंत्र तथा नव्यांध्र-प्रदेश को दिए गए अाश्वासनों को पूरा करने का अादेश केंद्र सरकार को देने की माँग की थी। इस याचिका की अाज सुनवाई की गई। न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा था। केंद्र सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में अाज शपथ-पत्र दायर किया गया।
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