कड़पा, 30 जून-(मिलाप डेस्क)
कड़पा में लौह इस्पात संयंत्र स्थापित करने की मांग को ले कर पिछले 11 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे सांसद सीएम रमेश और विधान पार्षद बीटेक रवि को मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायुडू ने नींबू पानी पिला कर उनकी भूख हड़ताल समाप्त करवायी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने उनका हालचाल पूछा और चिकित्सकों से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की। बाद में लोगों को संबोधित करते हुए बाबू ने कहा कि कड़पा में इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए दोनों नेताअों ने लंबे समय तक भूख हड़ताल की है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। दोनों के स्वास्थ्य में गिरावट भी अाई है।
इसके बावजूद भी वे भूख हड़ताल करते रहे। कुछ लोगों ने भूख हड़ताल का मज़ाक भी बनाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को चाहिए कि ऐसे समय में वह सत्ता पक्ष का साथ दें। विभाजन कानून के अनुसार 6 माह में इस्पात संयंत्र स्थापित किया जाना चाहिए था। बाबू ने कहा कि यदि अांध्र-प्रदेश के साथ अन्याय होता है तो वे चुपचाप नहीं बैठेंगे। दो माह के भीतर यदि इस्पात संयंत्र स्थापित करने को लेकर केंद्र सरकार कोई फैसला नहीं लेती है, तो इसके काफी गंभीर परिणाम होंगे। केंद्र सरकार यदि इसके लिए तैयार है तो राज्य सरकार भी अाधा खर्च वहन करने के लिए तैयार है। यदि केंद्र सरकार इससे इनकार करती है तो वे खुद इसका निर्माण करेंगे और इसके लिए वे एक समिति का गठन करेंगे।
कड़पा में लौह इस्पात संयंत्र स्थापित करने की मांग को ले कर पिछले 11 दिनों से भूख हड़ताल कर रहे सांसद सीएम रमेश और विधान पार्षद बीटेक रवि को मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायुडू ने नींबू पानी पिला कर उनकी भूख हड़ताल समाप्त करवायी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने उनका हालचाल पूछा और चिकित्सकों से उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की। बाद में लोगों को संबोधित करते हुए बाबू ने कहा कि कड़पा में इस्पात संयंत्र की स्थापना के लिए अपनी जान की परवाह न करते हुए दोनों नेताअों ने लंबे समय तक भूख हड़ताल की है। इसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। दोनों के स्वास्थ्य में गिरावट भी अाई है।
इसके बावजूद भी वे भूख हड़ताल करते रहे। कुछ लोगों ने भूख हड़ताल का मज़ाक भी बनाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को चाहिए कि ऐसे समय में वह सत्ता पक्ष का साथ दें। विभाजन कानून के अनुसार 6 माह में इस्पात संयंत्र स्थापित किया जाना चाहिए था। बाबू ने कहा कि यदि अांध्र-प्रदेश के साथ अन्याय होता है तो वे चुपचाप नहीं बैठेंगे। दो माह के भीतर यदि इस्पात संयंत्र स्थापित करने को लेकर केंद्र सरकार कोई फैसला नहीं लेती है, तो इसके काफी गंभीर परिणाम होंगे। केंद्र सरकार यदि इसके लिए तैयार है तो राज्य सरकार भी अाधा खर्च वहन करने के लिए तैयार है। यदि केंद्र सरकार इससे इनकार करती है तो वे खुद इसका निर्माण करेंगे और इसके लिए वे एक समिति का गठन करेंगे।