आरजीए की व्याख्यानमाला में डॉ दीपा ने बताएं स्वस्थ जीवन के रहस्य

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हैदराबाद, जिस प्रकार कहावत है सावधानी हटी दुर्घटना घटी, उसी प्रकार भोजन में सावधानी हटी, तो बीमारियां बढ़ने लगती हैं। वर्तमान में यही कुछ जीवनशैली में आये बदलाव के कारण लोगों में देखने को मिल रहा है। मनुष्य बीमारियों की जाल में फंसता जा रहा है। भोजन को नियंत्रित करना सीखें और स्वास्थ्य जीवन जियें।'

उक्त उद्गार आज यहाँ अबिड्स स्थित आरजीए हॉल में राजस्थानी स्नातक संघ के तत्वावधान में मासिक भाषण माला समिति द्वारा `जीने के लिए खाओ और स्वस्थ रहो' विषय पर आयोजित व्याख्यान में न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. दीपा अग्रवाल ने व्यक्त किए। डॉ. दीपा अग्रवाल ने स्वास्थ्य जीवन एवं फिट रहने के लिए किस प्रकार का स्वास्थ्यवर्धक  भोजन ग्रहण करना चाहिए इसकी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि समय के साथ लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है। कार्य के तौर-तरीके भी बदल गये हैं। लैपटॉप, मोबाइल अादि पर कार्य होने के कारण लोग व्यायाम करना और खानपान का सही तरीका भूल गये हैं, जिसके चलते विभिन्न बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। पूर्व में ऐसा नहीं था। लोगों का खाना संतुलित था और व्यायाम भी जीवनशैली में शामिल होता था। लोग समय पर खाते और समय पर सोते तथा जल्दी उठकर व्यायाम करते थे। इसलिए बीमारियों के नाम नहीं सुनने में अाते थे। वर्तमान में लोगों को कई बीमारियों ने घेर लिया है, जिसका नतीजा भोजन का असंतुलन और शारीरिक व्यायाम न करना है।
डॉ. दीपा अग्रवाल ने बताया कि जीवन शैली के बदलाव के कारण भी भोजन न पचने, नींद न आने, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने, हृदय रोग, कैंसर, जोड़ों के दर्द, किडनी और लीवर का खराब होना जैसी समस्याएँ आम हो गयी हैं। इन सबसे बचना है, तो अपने खानपान में बदलाव करना होगा। सुबह उठने के दो घंटे के भीतर नाश्ता आवश्यक रूप से करना होगा। लगभग चार घंटे के बाद दोपहर भोजन और उसके बाद रात्रि भोजन हल्का करना चाहिए। आमतौर पर भोजन के पचने में ढाई से तीन घंटे का समय लगता है। पेट को यदि लम्बे समय तक खाली रखा जाता है, तो गैस की समस्या होती है। खानपान में फल, अंकुरित वस्तु, दाल, रोटी, सब्जी चावल, मोटा अनाज, दूध, दुग्ध उत्पाद आदि का उपयोग अवश्य रूप से किया जाना चाहिए। भोजन के लिए नियमित रूप से डायरी बनाएं और दिन भर में कब कितना और क्या खाया है, इसकी जानकारी रखें, ताकि पता चल सके की किस समय क्या खाने से समस्या होगी। व्यक्ति की आदत होती है, जब चाहा कुछ भी खा लिया इसके चलते ही परेशानी और बीमारी होनी आरंभ होती है। संतुलित और सीमित मात्रा में भोजन करें। शरीर को ऊर्जा देने के लिए कितनी कैलोरी की आवश्यकता है, उतना ही ग्रहण करें। अतिरिक्त कैलोरी ही शरीर में जमा होकर विभिन्न बीमारियों का रूप लेती हैं। कम से कम दो लीटर पानी विभिन्न चरणों में पीने की आदत डालें। सप्ताह में तीन घंटे यानि रोज अाधा घंटा व्यायाम, चलने या योग करने का प्रयास करें। इससे शरीर चुस्त रहेगा। उन्होंने पावर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण से खान-पान और फल से शरीर को होने वाले फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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