सरकार के पास बँटाई किसानों की जानकारी नहीं : केसीअार

Rythu bandhu scheme not for tenant farmers says KCR 1July2018
हैदराबाद, 30 जून-(डीवी भीमशंकर)
मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने एक और बार स्पष्ट कर दिया कि रैतुबंधु योजना बँटाईदार किसानों के लिए नहीं, बल्कि खेत के मालिक किसानों को फसल पूँजी राशि देने के लिए लागू की गयी है। उन्होंने कहा कि समाज में विभिन्न प्रकार की संपत्ति को कुछ समय के लिए लीज़ पर देना स्वाभाविक है, परंतु लीज़ पर लेने वाले लोग उस संपत्ति के मालिक नहीं बनेंगे। एक वर्ष में किसान अपनी भूमि एक मौसम में एक के हिसाब से दो- तीन बँटाईदार किसानों को देते हैं। ऐसी परिस्थितियों में बँटाईदार किसानों की पहचान करना भी मुश्किल बन जाएगा। इतना  ही नहीं, कोई भी किसान अपनी भूमि बँटाई पर देने को लिखित रूप से नहीं मानते हैं। इन परिस्थितियों में रैतुबंधु योजना बंटाईदार किसानों के लिए लागू नहीं होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि रैतुबंधु योजना बँटाईदार किसानों के लिए भी लागू करने से संबंधित माँग ही गलत है।

केसीअार ने अाज प्रगति भवन में रैतुबंधु योजना की अमलावरी की समीक्षा के दौरान कहा कि राज्यभर में किसानों को प्रति वर्ष एक एकड़ के लिए कुल 8 हज़ार रूपये की सहायता राशि देने के लिए यह योजना लागू की गयी है। किसी प्रकार का भेदभाव न करते हुए सभी खेत मालिक किसानों को सहायता राशि दी जा रही है। बजट में इस योजना के लिए 12,000 करोड़ रूपये भी अावंटित किये गये हैं।

बँटाईदार किसानों को सहायता राशि किस अाधार पर दी जाए ?

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी नीतिगत निर्णय के अनुसार खेत के मालिक किसानों को लाभ मिल रहा है। इसके मद्देनज़र कुछ लोग बँटाईदार किसानों को भी सहायता राशि देने की माँग कर रहे हैं। इस माँग का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि बँटाईदार किसान से संबंधित कोई जानकारी सरकार के पास नहीं है। किसी भी सरकारी रिकार्ड में बँटाईदार किसानों की  जानकारी उपलब्ध नहीं है। किसान भी बँटाईदार किसानों को कोई मान्यता नहीं देते।
बँटाईदार किसान का खेती की जाने वाली भूमि पर किसी प्रकार का हक नहीं है। इन परिस्थितियों में बँटाईदार किसानों को सहायता राशि किस अाधार पर दी जा सकती है।

सरकार की अालोचना ठीक नहीं

केसीअार ने अागे कहा कि किसानों को  सहायता राशि देना सरकारी नीतिगत निर्णय होने के अलावा प्रजाधन से जुड़ा हुअा मामला है। खर्च किये जाने वाले प्रत्येक एक रूपये के लिए विधानसभा की अनुमति अनिवार्य है। इस तमाम खर्च का लेखा-जोखा भी होता है। जमीन पर किसी प्रकार का अधिकार न होने पर भी सहायता राशि दी जाएगी, तो यह एक गलती होगी। अगर सरकार ऐसी गलती करती है, तो तब सवाल किया जाना चाहिए, परंतु वर्तमान में नियमों के अनुसार काम करने पर भी सरकार  की अालोचना की जा रही है, जो ठीक नहीं है।




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