जीव का अंतिम लक्ष्य मोक्ष: पारसमुनिजी

हैदराबाद, 15 अगस्त-(चन्द्रभान अार.)
`हम जो भी धर्म कार्य करते हैं, जिन शासन की अाराधना करते हैं, वह एकमात्र मोक्ष के लिए ही करते हैं, क्योंकि जीव का अंतिम लक्ष्य मुक्ति पाना है। मोक्ष का मतलब मुक्त हो जाना है।'

उक्त उद्गार रामकोट स्थित जैन भवन में अायोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में पारसमुनिजी म.सा. ने व्यक्त किये। अाज यहाँ प्रचार संयोजक मनोज कोठारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, म.सा. ने कहा कि सभी का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति का है और यह सुन्दर भाव है। व्यक्ति मोक्ष क्यों चाहता है। संसार में लोगों के पास खाने-पीने और वैभव के सभी साधन हैं, फिर मोक्ष की चाह क्यों। वहाँ मोक्ष में तो ऐसा कुछ भी नहीं है? वहाँ अंतर क्यों है? क्योंकि इसमें अात्मिक सुख है, भौतिक सुख नहीं। पहले यह सोचो की उपस्थित सुख है क्या। सोना खरीदना है, तो सोना किसको कहते हैं। यह जाना ही नहीं। नये सोने के स्थान पर कुछ और भी ले सकते हैं। जहाँ किसी भी प्रकार की परातंत्रता नहीं है, गुलामी नहीं है, वहाँ मोक्ष है।

म.सा. ने कहा कि गुलामी के सर्व बंधनों से मुक्त होना ही मोक्ष है। संसारी दुनिया में परातंत्रता बिना चलता ही नहीं है। परतंत्रता दूर होने से अात्म सुख, अात्म अनुभव प्राप्त होता है। अाज एक राष्ट्रीय पर्व और महान दिन है। देश की अाजादी का जश्न मनाया जा रहा है। यह जश्न की स्मृति हम भूले नहीं, इसलिए 15 अगस्त को अाजादी के दिन में रूप में मनाया जाता है। संघ के उपाध्यक्ष भरतभाई पटेल ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संघ में अजयलाल उत्तमचंद गाँधी के 30 उपवास के पारणे हुए। दया सामायिक कर अाज स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। संघ के अध्यक्ष विजयभाई संघवी ने कहा कि मासक्षमण प्रारंभ हो रहे हैं, सभी तेले तप की अाराधना करें एवं धार्मिक अनुष्ठानों में जुड़कर गुरूदेव का सान्निध्य प्राप्त करें।
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