निकाह हलाला-बहुविवाह प्रथा पर विचार के लिये संविधान पीठ संभव

नई दिल्ली, 2 जुलाई-(भाषा)
उच्चतम न्यायालय ने अाज कहा कि मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा की वैधता पर विचार के लिये संविधान पीठ गठित करने पर विचार किया जायेगा। शीर्ष अदालत ने इस साल 22 मार्च को मुस्लिम समुदाय में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा की संवैधानक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाअों को संविधान पीठ को सौंपने का निर्णय लिया था। इससे पहले, एक अन्य संविधान पीठ ने पिछले साल 22 अगस्त को सुन्नी मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक ही बार में तीन तलाक देने की पुरानी प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई. चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि हम इस पर गौर करेंगे। पीठ ने कहा कि केन्द्र का इस मामले में जवाब मिलने के बाद इसे संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जायेगा।

दिल्ली की रहने वाली समीना बेगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी. शेखर और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने उसकी याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया। उन्होंने अारोप लगाया कि उसके ससुराल वाले याचिका वापस लेने अथवा वैवाहिक घर से निकल जाने की धमकी दे रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि हम अन्य याचिकाअों के साथ ही उसकी याचिका भी सूचीबद्ध करेंगे। केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इन याचिकाअों पर अपना हलफनामा दाखिल करेगी।

यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण हो गयी है, क्योंकि हाल ही में सरकार ने कहा था कि वह शीर्ष अदालत में इस मामले में सुनवाई होने पर निकाह हलाला की प्रथा का विरोध करेगी। समीना के वकीलों ने कहा कि न्यायालय की अग्रिम कार्यसूची में यह याचिका शामिल थी, परंतु बाद में उसे इससे हटा दिया गया और इसी वजह से उन्हें इसकी शीघ्र सुनवाई का अनुरोध करने के लिये इसका उल्लेख करना पड़ा।

बहुविवाह प्रथा के तहत मुस्लिम व्यक्ति को चार बीवियाँ रखने की इजाजत है, जबकि निकाह हलाला ऐसी प्रथा है, जिसमे बीवी को तलर्किं देने के बाद उसका शौहर उससे फिर शादी करना चाहता है, तो ऐसी महिला को पहले किसी अन्य व्यक्ति से शादी करके उसके साथ संसर्ग करने के बाद उससे तलाक हासिल करना होता है। इन प्रथाअों की संवैधानिक वैधता को ही उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है। न्यायालय ने इन याचिकाअों पर विधि एवं न्याय मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय के साथ ही राष्ट्रीय महिला अायोग को नोटिस जारी किये थे।
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