साधना में अावश्यक है अात्म अनुशासन : पारसमुनिजी

हैदराबाद, 2 जुलाई (चन्द्रभान अार.)
`साधना में अात्म अनुशासन अत्यंत अावश्यक है। अनुशासन के बिना साधना नहीं हो सकती। साधना वही कर सकता है, जिसमें निर्णायक और संकल्प शक्ति हो।' अाज यहाँ प्रचार संयोजक मनोज कोठारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, रामकोट बुक कलेक्शन स्थित जयंत भाई के निवास पर विराजित पारसमुनिजी म.सा. ने दिये।

पारसमुनिजी ने अागे कहा कि व्यक्ति निर्णय नहीं ले सकता, लेकिन सलाह सभी को दे सकता है, किन्तु उसे मानना या न मानना, सामने वाले व्यक्ति के स्वयं के निर्णय पर निर्भर करता है। निर्णय अंतर भाव से मन से लिया जाता है। गुरू हमें उपदेश दे सकते हैं, समझा सकते हैं, लेकिन मानना या न मानना हमारे स्वयं के निर्णय पर निर्भर करता है। समझना और समझाना भी स्वयं के निर्णय से ही होता है। अनुशासन स्वयं के निर्णय से होता है, जबकि अन्य लोग हमारे शरीर या वचन पर अनुशासन कर सकते हैं। मन और अात्मा पर अनुशासन व्यक्ति स्वंय कर सकता है। शरीर को अनुशासन में अात्मा रखती है। विज्ञान की दृष्टि से शरीर का अनुशासन दिमाग से होता है। हाथ-पैर हिलाना, देखना, सुनना, चखना, दौड़ना अादि क्रियाएँ दिमागी अनुशान से होती हैं। मुर्दे का अनुशासन करने वाला कोई नहीं है।

म.सा. ने अागे कहा कि दिमाग की गड़बड़ी हो गयी या उसके किसी भाग में चोट लग गयी, तो व्यक्ति मूर्छित होकर कोमा में चला जाता है। जहाँ दिमाग का अनुशासन न हो, वहाँ जिंदा रहते हुए भी व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। व्यावहारिक दृष्टि से देखें, तो दिमाग से अनुशासन होता है यानि दिमाग से निर्णय लिया जाता है। जिसका दिमाग कमजोर है, वह निर्णय लेने में असमर्थ होता है। हम प्रवचन सुनने के लिए सुनते हैं या फिर कुछ निर्णय लेने के लिए सुनते हैं, यह हम पर निर्भर है। प्रवचन सुनने की भावना से ही केवल अा गए, तो कभी हम निर्णय लेने में समर्थ नहीं होंगे। निर्णय लिया जायेगा, तो ही कोई कार्य सिद्ध होगा। निर्णय नहीं, तो हमारा समय कठिन हो जाता है। पुरूष जीभ से जो भी निर्णय होता है वह 6 रूपों में होता है, इच्छा शक्ति, भावना शक्ति, तर्क शक्ति, कल्पना शक्ति, चेतना शक्ति और स्मरण शक्ति। यह शक्तियाँ स्वयं और कर्मोदय जन्य होती हैं। व्यक्ति की इच्छा नहीं होगी, तो वह कार्य नहीं करेगा। कर्माधीन इच्छाअों से अात्मा का कर्म बंध होता है।

अवसर पर भरत पटेल ने बताया कि अात्म अनुशासन गुरू भगवंत की प्रेरणा से होता है। जिनशासन बाद में है, प्रथम अात्म अनुशासन है। मंगलवार, 3 जुलाई का प्रवचन सुल्तान बाजार स्थित रॉयल प्लाजा में होगा। श्रद्धालुअों से प्रवचन का लाभ लेने का अाग्रह किया गया है।
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