वैष्णो देवी के संरक्षण के अादेश

Supreme Court orders protection of Vaishno Devi temple 3July2018
सुप्रीम कोर्ट ने टट्टू मालिकों का भी पुनर्वास करने को कहा
नई दिल्ली, 2 जुलाई-(भाषा)
उच्चतम न्यायालय ने जम्मू में वैष्णो देवी धर्मस्थल और अास-पास के इलाके में पर्यावरण की स्थिति का संज्ञान लेते हुए स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर सरकार और श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को दोनों का ही संरक्षण करना होगा। न्यायमूर्ति मदन बी. लोवूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दोनों से ही कहा कि उन्हें खच्चर और टट्टू के मालिकों को भी संरक्षण प्रदान करना होगा, जो लंबे समय से श्रृद्धालुअों को धर्मस्थल तक लाने और ले जाने का काम करते हैं और उनके पुनर्वास के मुद्दे पर मानवीय अाधार पर गौर करना होगा।

पीठ ने धर्मस्थल के निकट बाणगंगा नदी में डाले गये कचरे की तस्वीरों के अवलोकन के बाद कहा कि यदि ये तस्वीरें सही हैं फिर तो वहाँ बहुत ही अधिक समस्यायें हैं, जिन पर गौर करने की अावश्यकता है।  पीठ ने कहा कि यह एकदम स्पष्ट है कि अापको धर्मस्थल के साथ ही पर्यावरण का भी संरक्षण करना होगा। अापको खच्चर और टट्टू मालिकों को संरक्षण देना होगा। हमें नहीं पता कि अाप मानवीय अाधार पर इनके पुनर्वास के मुद्दे पर गौर भी कर रहे हैं या नहीं। जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह और वकील शोएब अालम ने कहा कि खच्चर मालिकों के पुनर्वास की योजना कैबिनेट की उपसमिति के समक्ष पेश की जानी थी, परंतु अाज की स्थिति में राज्य में कोई सरकार नहीं है और वहाँ राज्यपाल का शासन है।

उन्होंने कहा कि उपसमिति का गठन किया गया था, लेकिन पुनर्वास के मसले पर उसके गौर करने से पहले ही राज्य में सरकार गिर गयी। सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण भी धर्मस्थल से संबंधित कुछ पहलुअों पर विचार कर रहा है और उसके कई अादेश भी पारित किये हैं। उन्होंने कहा कि चूँकि अब शीर्ष अदालत इस मामले पर गौर कर रही है, इसलिए अधिकरण को इसमें अागे कार्यवाही नहीं करनी चाहिए।
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