नई दिल्ली, 2 जुलाई-(भाषा)
उच्चतम न्यायालय ने अाज केन्द्रीय सतर्कता अायुक्त (सीवीसी) के.वी. चौधरी और सतर्कता अायुक्त (वीसी) टी.एम. भसीन की नियुक्ति रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि साफ रिकॉर्ड नहीं होने का अारोप लगाने वाली ऐसी शिकायतों पर सीधे-सीधे संज्ञान नहीं लिया जा सकता, क्योंकि ऐसे अारोप बहुत ईमानदार लोगों के खिलाफ भी लगाये जा सकते हैं। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतागौडार की पीठ ने कहा कि वह चौधरी और भसीन की नियुक्तियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, क्योंकि उनकी नियुक्तियों को रद्द करने का कोई अाधार नहीं है। पीठ ने कहा कि हमने नियुक्तियों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। चौधरी के खिलाफ शिकायतें दी गईं और उन पर गौर किया गया। चयन पर फैसला करना इस अदालत के दायरे में नहीं है।
पीठ ने कहा कि हम इन दिनों इस स्थिति में हैं कि इन शिकायतों पर सीधे संज्ञान नहीं ले सकते। बहुत ईमानदार व्यक्तियों के खिलाफ भी अारोप लगाये जा सकते हैं। वे दिन चले गये, जब शिकायतें दायर होने को ईमानदारी पर गंभीर धब्बे के रूप में लिया जाता था। अादर्श रूप से, कोई गंभीर शिकायत दायर नहीं होनी चाहिये, क्योंकि इसके दायर होने से सवाल खड़े होते हैं। इस मामले में, शिकायतों पर गौर किया गया और हम इसमें हस्तक्षेप से इनकार करते हैं। न्यायालय सीवीसी के रूप में चौधरी और वीसी के रूप में भसीन की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाअों पर फैसला सुनाया। याचिका में अारोप लगाया गया था कि दोनों के रिकॉर्ड साफ नहीं है और उनकी नियुक्तियों में अपारदर्शी प्रक्रिया अपनायी गयी है। एनजीओ कॉमन कॉज और सेंटर फॉर इंटीग्रिटी गवर्नेंस एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा दो याचिकाएँ दायर की गई थीं।
उच्चतम न्यायालय ने अाज केन्द्रीय सतर्कता अायुक्त (सीवीसी) के.वी. चौधरी और सतर्कता अायुक्त (वीसी) टी.एम. भसीन की नियुक्ति रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि साफ रिकॉर्ड नहीं होने का अारोप लगाने वाली ऐसी शिकायतों पर सीधे-सीधे संज्ञान नहीं लिया जा सकता, क्योंकि ऐसे अारोप बहुत ईमानदार लोगों के खिलाफ भी लगाये जा सकते हैं। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतागौडार की पीठ ने कहा कि वह चौधरी और भसीन की नियुक्तियों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, क्योंकि उनकी नियुक्तियों को रद्द करने का कोई अाधार नहीं है। पीठ ने कहा कि हमने नियुक्तियों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। चौधरी के खिलाफ शिकायतें दी गईं और उन पर गौर किया गया। चयन पर फैसला करना इस अदालत के दायरे में नहीं है।
पीठ ने कहा कि हम इन दिनों इस स्थिति में हैं कि इन शिकायतों पर सीधे संज्ञान नहीं ले सकते। बहुत ईमानदार व्यक्तियों के खिलाफ भी अारोप लगाये जा सकते हैं। वे दिन चले गये, जब शिकायतें दायर होने को ईमानदारी पर गंभीर धब्बे के रूप में लिया जाता था। अादर्श रूप से, कोई गंभीर शिकायत दायर नहीं होनी चाहिये, क्योंकि इसके दायर होने से सवाल खड़े होते हैं। इस मामले में, शिकायतों पर गौर किया गया और हम इसमें हस्तक्षेप से इनकार करते हैं। न्यायालय सीवीसी के रूप में चौधरी और वीसी के रूप में भसीन की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाअों पर फैसला सुनाया। याचिका में अारोप लगाया गया था कि दोनों के रिकॉर्ड साफ नहीं है और उनकी नियुक्तियों में अपारदर्शी प्रक्रिया अपनायी गयी है। एनजीओ कॉमन कॉज और सेंटर फॉर इंटीग्रिटी गवर्नेंस एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा दो याचिकाएँ दायर की गई थीं।