सुषमा के प्लेन से 14 मिनट तक संपर्व टूटा

Sushma's plane breaks for 14 minutes
त्रिवेंद्रम टू मॉरीशस
नई दिल्ली, 3 जून
अचानक वीवीअाईपी एयरक्राफ्ट मेघदूत से संपर्व टूटने की वजह से शनिवार को अथॉरिटी सकते में अा गई थी। इस एयरक्राफ्ट में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज त्रिवेंद्रम से मॉरीशस की यात्रा कर रहीं थीं। सुषमा स्वराज दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गई हैं। उनके एयरक्राफ्ट से करीब 12-14 मिनट तक संपर्व टूटा रहा। मामले से जुड़े अधिकारियों का डर उस समय काफी बढ़ गया, जब सुषमा स्वराज के एयरक्राफ्ट और मॉरीशस एयर ट्रैफिक कंट्रोल का अापस में संपर्व नहीं हो पाया, जबकि सुषमा स्वराज का एयरक्राफ्ट इसके एयरस्पेस में अा चुका था। एयर ट्रैफिक कंट्रोल का काम देखने वाली एयरपोर्ट्स अथॉरिटी इंडिया के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, `हमारे समुद्री एयरस्पेस, एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने प्लेन के गुम हो जाने का ऐलान करने के लिए करीब 30 मिनट का इंतजार किया। इसके बाद फ्लाइट के मॉरीशस के एयरस्पेस में प्रवेश करने के 12 मिनट बाद मॉरीशस अथॉरिटी ने अलार्म बटन दबा दिया, क्योंकि फ्लाइट से संपर्व नहीं हो पा रहा था।' वहीं दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय ने इस विषय में जानकारी होने की बात से इनकार किया है। मॉरीशस ने फिर ठघ्Nण्िंRइAठ  अलार्म की घोषणा की। इस अनिश्चितता का मतलब है कि विमान और उसके यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद उन्होंने चेन्नई एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्व किया। यह अाखिरी उड़ान सूचना क्षेत्र था, जिसे `मेघदूत' एम्ब्रायर ईअारजे 135 के संपर्व में रखा गया था।
एयरक्राफ्ट ने त्रिवेंद्रम से शाम 4 बजे उड़ान भरी थी। एयरपोर्ट अथॉरिटी इंडिया ने बताया, `लोकल एटीसी ने इसे चेन्नई एफअाईअार (फ्लाइट इन्फॉर्मेशन रीजन) को पास कर दिया और चेन्नई ने मॉरीशस एफअाईअार को। (एक प्लेन उड़ान के दौरान कई एफअाईअार में रहता है, जिससे वह उस उड़ान क्षेत्र के संपर्व में रहता है।) एक बार जब अलार्म की अावाज अाई, सभी लोग उस प्लेन को लेकर सतर्व हो गए, जिसके लिए वह अलार्म बजाया गया था। भारतीय एटीसी ने भी वीएचएफ के जरिए प्लेन से संपर्व करने की कोशिश की।'
एयरक्राफ्ट के लिए करीब शाम 4.44 पर अलार्म बजाया गया था, और एयरक्राफ्ट के पायलट ने मॉरीशस एटीसी से 4.58 पर संपर्व किया, उसके बाद सबकी जान में जान अाई। एटीसी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि अनियमित वीएचएफ कॉम्युनिकेशन की वजह से समुद्री इलाकों में इस तरह की समस्या अक्सर अाती है।
उन्होंने बताया कि कभी-कभी पायलट मॉरीशस एरिया में संपर्व करने में सफल नहीं होते तो कभी भूल भी जाते हैं। समुद्री क्षेत्र में रेडार कवरेज नहीं है। सब कुछ वीएचएफ कम्युनिकेशन पर निर्भर है। जिन जगहों पर वीएचएफ कवरेज अच्छी नहीं है, उन्हें डार्व जोन कहा जाता है।'
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