अमरावती, 5 जुलाई-(मिलाप डेस्क)
अांध्र-प्रदेश के वित्त-मंत्री यनमला रामकृष्णुडू ने केंद्र सरकार की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हुए कहा कि अांध्र-प्रदेश पुनर्गठन कानून की अमलावरी के संबंध में जो शपथ-पत्र केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दायर किया है, उसमें कई खामियाँ हैं। उन्होंने कहा कि जान-बूझकर केंद्र सरकार ने शपथ-पत्र में गलत जानकारी दी है। उन्होंने प्रश्न किया कि राज्य का पुनर्गठन होने के बाद प्रथम वर्ष के बजट घाटे के संबंध में अरूण जेटली ने जो फार्मूला बताया था, उसकी जानकारी शपथ-पत्र में क्यों नहीं दी गई, बताएँ। उन्होंने बताया कि पोलावरम परियोजना के मामले में अार एण्ड अार के संबंध में स्पष्टता नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि पुनर्वास पैकेज से केंद्र सरकार बचने का प्रयास कर रही है।
यनमला ने अागे बताया कि केंद्र सरकार के रवैये से यही लग रहा है कि चूँकि 14वें वित्त अायोग ने 42 प्रतिशत हिस्सा दिया है, इसलिए अब उसे कुछ भी देने की अावश्यकता नहीं है। उन्होंने प्रश्न किया कि राज्य पुनर्गठन कानून में अांध्र-प्रदेश को क्या देने की बात कही गई थी और शपथ-पत्र में क्या कहा गया, केंद्र स्पष्टीकरण दे। शपथ-पत्र में यह कह देना कि अब केंद्र सरकार की ओर से अांध्र-प्रदेश को कुछ भी देना नहीं है, अजीब लग रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दायर शपथ-पत्र के खिलाफ प्रति शपथ-पत्र राज्य सरकार दायर करेगी।
यनमला ने प्रश्न किया कि क्या केंद्र सरकार गुंटूर तथा विजयवाड़ा के बरसाती नालों के निर्माण के लिए दिए गए एक हज़ार करोड़ रूपयों को राजधानी के निर्माण के लिए देने की बात कहेगी? उन्होंने कहा कि राजधानी के निर्माण के लिए तीन वर्षों तक प्रति वर्ष 333 करोड़ रूपये देने की बात कहना अांध्र-प्रदेश को धोखा देने के समान है। उन्होंने प्रश्न किया कि केंद्र सरकार शपथ-पत्र में अांध्र-प्रदेश को विशेष दर्जा नहीं देने की बात कैसे जोड़ सकती है। उन्होंने कहा कि विभाजन कानून की बातें बताने के लिए कहने पर 14वें वित्त अायोग के संबंध में बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शपथ-पत्र में राज्य विभाजन कानून की धारा 9 तथा 10 एवं कर्मचारियों के विभाजन का जिक्र तक नहीं किया गया। इस प्रकार केंद्र सरकार पर अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करने का अारोप यनमला ने लगाया।
अांध्र-प्रदेश के वित्त-मंत्री यनमला रामकृष्णुडू ने केंद्र सरकार की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हुए कहा कि अांध्र-प्रदेश पुनर्गठन कानून की अमलावरी के संबंध में जो शपथ-पत्र केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दायर किया है, उसमें कई खामियाँ हैं। उन्होंने कहा कि जान-बूझकर केंद्र सरकार ने शपथ-पत्र में गलत जानकारी दी है। उन्होंने प्रश्न किया कि राज्य का पुनर्गठन होने के बाद प्रथम वर्ष के बजट घाटे के संबंध में अरूण जेटली ने जो फार्मूला बताया था, उसकी जानकारी शपथ-पत्र में क्यों नहीं दी गई, बताएँ। उन्होंने बताया कि पोलावरम परियोजना के मामले में अार एण्ड अार के संबंध में स्पष्टता नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि पुनर्वास पैकेज से केंद्र सरकार बचने का प्रयास कर रही है।
यनमला ने अागे बताया कि केंद्र सरकार के रवैये से यही लग रहा है कि चूँकि 14वें वित्त अायोग ने 42 प्रतिशत हिस्सा दिया है, इसलिए अब उसे कुछ भी देने की अावश्यकता नहीं है। उन्होंने प्रश्न किया कि राज्य पुनर्गठन कानून में अांध्र-प्रदेश को क्या देने की बात कही गई थी और शपथ-पत्र में क्या कहा गया, केंद्र स्पष्टीकरण दे। शपथ-पत्र में यह कह देना कि अब केंद्र सरकार की ओर से अांध्र-प्रदेश को कुछ भी देना नहीं है, अजीब लग रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दायर शपथ-पत्र के खिलाफ प्रति शपथ-पत्र राज्य सरकार दायर करेगी।
यनमला ने प्रश्न किया कि क्या केंद्र सरकार गुंटूर तथा विजयवाड़ा के बरसाती नालों के निर्माण के लिए दिए गए एक हज़ार करोड़ रूपयों को राजधानी के निर्माण के लिए देने की बात कहेगी? उन्होंने कहा कि राजधानी के निर्माण के लिए तीन वर्षों तक प्रति वर्ष 333 करोड़ रूपये देने की बात कहना अांध्र-प्रदेश को धोखा देने के समान है। उन्होंने प्रश्न किया कि केंद्र सरकार शपथ-पत्र में अांध्र-प्रदेश को विशेष दर्जा नहीं देने की बात कैसे जोड़ सकती है। उन्होंने कहा कि विभाजन कानून की बातें बताने के लिए कहने पर 14वें वित्त अायोग के संबंध में बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शपथ-पत्र में राज्य विभाजन कानून की धारा 9 तथा 10 एवं कर्मचारियों के विभाजन का जिक्र तक नहीं किया गया। इस प्रकार केंद्र सरकार पर अपनी जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करने का अारोप यनमला ने लगाया।