दृढ़ निश्चय से सिद्ध होते हैं कार्य : पारसमुनिजी

हैदराबाद, 3 जुलाई-(चन्द्रभान अार.)
`निर्णायक शक्ति से जीवन सुखी बनता है। कोई भी कार्य बिना निर्णय लिए नहीं हो सकता। निर्णय के बाद ही कार्य प्रारंभ होता है। दृढ़ निश्चय से ही कोई भी कार्य सिद्ध होता है।'

अाज यहाँ प्रचार संयोजक मनोज कोठारी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, रॉयल प्लाजा में भरत भाई पटेल के निवास पर अायोजित धर्मसभा में तपस्वीराज पारसमुनिजी ने उक्त उद्ग़ार दिये।

मुनिश्री ने अागे कहा कि कार्य सिद्धि के लिए निर्णायक शक्ति का होना अति अावश्यक है। निर्णय के बिना की गयी क्रिया क्षणिक होती है। किसी भी कार्य में अनुशासन जरूरी होता है। स्वयं का अनुशासन स्वयं से ही हो सकता है। अनुशासन के लिए इच्छा शक्ति जरूरी है। इच्छा शक्ति ही दृढ़ निर्णय लेने में सहायता करती है। इच्छाएँ संसार की भी होती हैं और अात्म साधना की भी होती है। संसार की इच्छाएँ मुख्य रूप से चार हैं- अाहार, भय, मैथुन, परिग्रह। अाहर शरीर प्राप्ति के लिए, भय बाह्य साधनों के लिए, मैथुन भोग के लिए और परिग्रह अभाव की पूर्ति के लिए। इन चारों इच्छाअों के लिए जीव क्रोध, मान, माया, लोभ इन चार कषायों का सेवन करता है।

म.सा. ने अागे कहा कि कर्म उदय के कारण ही इच्छाएँ होती हैं। इन इच्छाअों का कोई पार नहीं। एक पूरी हुई नहीं हुई कि दूसरी पैदा हो जाती है। संसार की इच्छा से कुछ भी लाभ नहीं होता है। उनसे तो कर्म बंध होते हैं। इच्छा और इच्छा शक्ति दोनों भिन्न हैं। जिस इच्छा में अात्मा की शक्ति नहीं, वह इच्छा भोग की होती है। भोग की इच्छा पराधीन और कर्म सत्ता की होती है। दृढ़ इच्छा शक्ति असंभव कार्य को भी संभव करा देती है। धर्म की अाराधना इच्छा शक्ति से होती है। इच्छा शक्ति में अात्म अनुशासन होता है।

पारसमुनिजी ने कहा कि धर्म की इच्छा शक्ति जहाँ है, वहाँ हम अन्य को न देखते हुए स्वयं की शक्ति को देखते हैं। जैसे किसी एपार्टमेंट में शॉर्ट सार्किट होने पर भयंकर अाग लगी, तो वहाँ से बचने की इच्छा से कोई भी चौथे मंजिल से भी कूद पड़ेगा। व्यक्ति के हाथ-पैर टूट जाएँगे, लेकिन वह इसके बारे में नहीं सोचेगा। इसी प्रकार धर्म करते समय जीव संसार, शरीर अादि के बारे में नहीं सोचता। धर्म करते हुए यदि कुछ हो भी गया, तो उसका फल अच्छा होगा यानि भविष्य अच्छा होगा। इच्छा शक्ति यानि दृढ़ संकल्प। हमें चातुर्मास मिला है, दृढ़ इच्छा शक्ति से धर्म अाराधना करनी है।
 
अवसर पर भरत भाई पटेल ने सभी का स्वागत करते हुए म.सा. के दर्शन-वंदन का लाभ लेने का अाग्रह किया। हार्दिक भाई ने गीतिका प्रस्तुत की। बुधवार, 4 जुलाई का प्रवचन ईडनबाग स्थित रूक्मिणी अपार्टमेंट में राजेश सुराणा के निवास पर होगा।
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