समर्थ और शत्तिशाली बनाती है सहनशीलता : कपिलमुनिजी

हैदराबाद, डबीरपुरा स्थित जैन स्थानक में विराजित क्रांतिकारी संत श्री कपिलमुनिजी म.सा. ने 21 दिवसीय श्रुतज्ञान गंगा महोत्सव में भगवान महावीर की अंतिम देशना श्री उत्तराध्ययन सूत्र पर प्रवचन के दौरान कहा कि जीवन में शांति तभी संभव है जब भीतर में शत्ति और सामर्थ्य हो। भीतर से सामर्थ्य के खत्म होने पर व्यत्ति निराशा और हताशा का शिकार बन जाता है। जीवन की इस दुर्बलता को ख़त्म करने का एकमात्र उपाय है सहनशीलता।

मुनिश्री ने कहा कि सहिष्णुता कमजोरी नहीं बल्कि व्यत्तित्व को निखारने वाला महत्वपूर्ण गुण है। इसके अभाव में व्यत्ति की सभी विशेषता अर्थहीन हो जाती है। जिसे सहना आता है वही जीवन को जीना जानता है। सहनशीलता ऐसी क्षमता है जो हमें विकट हालातों में भी सक्रिय बनाये रखती है। सहिष्णुता की जीवन में बहुत ही उपयोगिता है। मुनिश्री ने कहा कि यह दुनिया रंग बिरंगी और विचित्रता से भरी है। प्रतिकूल विचार, व्यत्ति और परिस्थितियों को सहना ही सहिष्णुता है। सहिष्णुता अनेक सग्दुणों की जननी है। सहिष्णुता से जीवन शत्ति की वृद्धि होती है जो आनन्द की अनुभूति का कारण बनती है। धीरता, गंभीरता, सहजता आदि सभी विशेषताओं का समावेश होता है। उन्होंने कहा कि प्रतिकूलताएं कष्ट, दुख, जीवन की परीक्षा है और जब हम इसमें उत्तीर्ण हो जाते हैं तो आनन्द मिलता है। व्यत्ति को सफल नहीं होने पर निराश होने के बजाय धैर्य का दामन थामना चाहिए। निरंतर अभ्यास के चलते सहनशीलता हमारे स्वभाव का एक अंश बन जाती है। फिर सब कुछ आसानी से सह लेने में किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है। फिर सफलता व्यत्ति के कदमों में हाजिर हो जाती है।

इसके पूर्व वीरस्तुति और उत्तराध्ययन सूत्र का पारायण किया गया। संघ के अध्यक्ष दिलीप धारीवाल ने बताया कि कल रविवार को विशेष प्रवचन व जप साधना का आयोजन सुबह 8.30 से 10 बजे तक होगा। इस मौके पर कार्याध्यक्ष पारसमल कटारिया, उपाध्यक्ष पद्मचंद सिसोदिया, प्रकाशचंद श्रीश्रीमाल, सुरेशचंद कटारिया, दिलीप लोढ़ा, गौतमचंद सिंघवी, पारस डोसी, मदनलाल संचेती, नेमीचंद कटारिया, सुरेशचंद गुगलिया, सुरेश गादिया, दिलीप गादिया, विमल लोढ़ा, विजय कटारिया, किशोर कटारिया आदि उपस्थित थे। धर्मसभा का संचालन संघ के महामंत्री सुरेशचंद बोहरा ने किया।
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